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बाल यौन शोषण मामले में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं

१९ मार्च २०१०

जर्मन कैथोलिक गिरिज़ाघरों में बाल शोषण पर कार्यक्रम वेस्ट वॉच, अंतरा तथा हिंदी वेब साइट की ताज़ातरीन ख़बरों पर श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं....

https://p.dw.com/p/MX8x
तस्वीर: picture alliance/dpa

वेस्ट वॉच में चर्च यौन दुराचार पर चर्चा सुनी,यह बहुत घृणा की बात है और बहुत ही चिंताजनक विषय है.

सैयद एहसान अहमद, सीवान, बिहार

कैथोलिक चर्च में बच्चों के साथ पादरियों द्वारा हुए यौन दुराचार पर विस्तृत चर्चा वेस्ट वॉच में सुनी.कठोर शर्ते और ब्रह्मचर्य का पालन करके चर्च में फ़ादर का पद संभालनेवाले अगर बच्चों के साथ यौन दुराचार करते है तो वे फ़ादर बनने के लायक नहीं है. फादर के नाम पर वे कलंक लगा रहे है. ऐसी स्थिति में आगे से बच्चों के माता पिता को सदैव जागृत रहेना पड़ेगा .

संदीप जावले,मारकोनी डीएक्स क्लब , पारली वैजनाथ , महाराष्ट्र

Gedenkmesse für Johannes Paul II.
तस्वीर: AP

आपका आज का शानदार कार्यक्रम वेस्ट वॉच सुना. जर्मनी में पादरियों के सेक्स घोटाले की जानकारी प्राप्त हुई. यह एक बहुत ही शर्मनाक घटना है. हम इस का समर्थन नहीं कर सकते. यह मानवता के उल्लंघन का मामला है. सुधीर कक्कड़ के साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा और हम उनके विचारों से सहमत हैं.

डा. एस.एस भट्टाचार्य, चेतक लि. क्लब, मिदनापुर

वेस्ट वाच कार्यक्रम में जर्मनी के कैथोलिक गिरिज़ाघरों में यौन दुराचार में लिप्त रहे कुछ पादरियों के बारे में जानने को मिला. यद्यपि आज के भौतिकवादी युग में आदमी का काम वासना से बच पाना कठिन है. लेकिन धार्मिक संस्थाओं से जुड़े व्यक्तियों को इस तरह कृत्य करके किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिये. बेबाक और सही तस्वीर पेश करने के लिए धन्यवाद.

चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़

अन्तरा में महिलाओं की विज्ञापन में भूमिका पर आधारित कार्यक्रम सुना. इस में महिलाओं की भूमिका चर्चा बिल्कुल सटीक थी और नुपुर जी ने जो विचार प्रकट किये वह भी काफी अच्छे थे. एक बात तो माननी पड़ेगी कि जब महिला विज्ञापन करेगी तो ऐसे विज्ञापन का असर समाज पर ज्यादा पड़ता है और लोगों का विश्वास महिला ही जीतती है.

सविता जावले,मारकोनी डीएक्स क्लब , पारली वैजनाथ , महाराष्ट्र

Mayawati
मायावती को मिली एक और मालातस्वीर: DW

डॉयचे वेले की हिंदी वेब साईट पर मायावती को मिली एक और माला की खबर पढ़ी मायावती जैसे दलित नेताओं के इस तरह के कारनामों से यही जाहिर होता है कि वे मूल रूप से कुंठित हैं. मायावती जैसे नेता यह दिखाना चाहते हैं कि एक जमाना था जब सवर्णों ने इस तरह की दौलतफ़रोशी करके दलितों की छाती पर मूंग दला था, अब देखो गंगा उल्टी दिशा में बहने लगी है और हम उनसे कहीं आगे निकल गए हैं. दरअसल भारतीय लोकतंत्र की यह कमजोरी रही है कि यहां के राजनेता शातिर एवं निर्लज्ज हैं और जनता मूर्ख. मायावती ने जो कुछ भी किया उसने भारतीय लोकतंत्र को निश्चित रूप से पूरी दुनिया के समक्ष शर्मिंदा किया है लेकिन किसी भी अन्य दल को इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है क्योंकि कोई भी दल दूध का धोया नहीं है. बाक़ी लोग छिप कर करते हैं माया ने वही काम खुलेआम किया. राजनीति अब मिशन नहीं है बल्कि प्रोफेशन है. लोग-बाग अब राजनीति में सिर्फ धन कमाने के लिए आते हैं.आखिर धन का ऐसा मजाक जिसे दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है. इन पैसों को देखकर उसके दिल में क्या गुजर रही होगी. इसे सोचने की फुरसत इन नेताओं को कब होगी? मायावती को राजनीति में लाने वाले कांशीराम भी मायावती की माया को नहीं समझ पाए. इस कारण कांशीराम जी को उनके अंतिम समय में कैद में रखा गया और उनके घरवालों से भी नहीं मिलने दिया. यह तो कांशीराम जी कि आत्मा ही जानती है कि उन्होंने अपनी वसीयत अपनी मर्जी से लिखी या दबाव में. लेकिन अब यह नहीं लगता कि कांशीराम जी के सपनों को मायावती पूरा करेंगी. वे यह जानती हैं कि जिस तरह मुमताज़ की याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था, उनके पीछे कोई ऐसा करने वाला नहीं है. इसलिए वे सत्ता का हर लुत्फ़ उठा रही हैं. वे अपनी मनमर्जी कर रही हैं. क्योंकि सभी नेता ईमानदार नहीं हैं. नहीं तो वे जनता से वसूला गया टैक्स का पैसा इस तरह बरबाद करने का साहस नहीं करतीं. गले से लिपटे हज़ार रूपए के अशंख नोट पर छपे बापू के उतने ही तस्वीर, बापू के रामराज्य का कितना घटिया प्रतिबिब था. दलितों को हरिजन से अलंकृत करने वाले बापू ने क्या कभी ऐसा सोचा होगा की समाज के हासिए से उठकर इनका एक प्रितिनिधि अपने धन बल के बल पर अपनी उन्नति का प्रदर्शन करेगा जबकि वास्तव में बापू के जीवन काल से लेकर आज तक दलितों के स्थिति में मामूली बदलाव ही हुआ है.लोग इसलिए मर रहे हैं क्योंकि उनके पास इलाज और दवाई के पैसे नहीं हैं. ऐसी स्थिति में राजनीतिज्ञों का इस तरह धन का भोंडा प्रदर्शन शर्मनाक है.

रवि शंकर तिवारी, गुन्सेज , दिनारा सासाराम बिहार