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बेल्जियम में बुर्का पर प्रतिबंध

३० अप्रैल २०१०

बेल्जियम में अब महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहन कर आने जाने पर प्रतिबंध लग जायेगा. शुक्रवार को सांसदों ने इस आशय का विधेयक पास कर दिया. बेल्जियम ऐसी कठोर नीति अपनाने वाला यूरोप का पहला देश बन जाएगा.

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बेल्जियम में बुर्का पर विवादतस्वीर: AP

शुक्रवार को बेल्जियम की संसद के निचले सदन में मौजूद सभी 136 सांसदों ने बुरके पर प्रतिबंध के पक्ष में मतदान किया. इस मौके पर दो सांसद अनुपस्थित थे. किसी भी सांसद ने इसके खिलाफ मत नहीं दिया. अब इस प्रस्ताव को सीनेट में मंजूरी मिलने का इंतजार है. यह प्रस्ताव पास हो जाने पर बेल्जियम यूरोप का पहला देश बन जाएगा जहां बुर्के पर रोक लगाने पर अमल होगा.

यह प्रतिबंध सड़कों, सार्वजनिक उद्यानों और खेल के मैदानों या ऐसी इमारतों पर लागू होगा जिन्हें सार्वजनिक उपयोग या सार्वजनिक सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लिबरल सांसद डेनिस दुकर्म ने कहा, "हमारा देश पहला देश है जो महिलाओं की गुलामी के विरुद्ध कुछ कर रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, इटली और नीदरलैंड भी इसी राह पर चल पड़ेंगे." बुर्के पर पाबन्दी के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि बुरका पहनी महिलाओं की पहचान नहीं हो पाती इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाना ज़रूरी है.

वहीं मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के यूरोप में भेदभाव विशेषज्ञ जान डलहुईसेन ने इस क़दम को एक खतरनाक मिसाल करार देते हुए कहा कि इससे धर्म पालन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा. मुस्लिम एग्ज़ेक्यूटिव ऑफ बेल्जियम की उप प्रमुख इजाबेल परेल ने भी इसे खतरनाक बताते हुए कहा कि यह क़दम भविष्य में अन्य धार्मिक प्रतीकों के भी विरुद्ध साबित होगा जैसी कि सिखों के.

गौरतलब है कि फ्रांस में भी बुर्के पर बैन को लेकर चर्चा चल रही है. राष्ट्रपति सार्कोजी ने भी यह बात स्पष्ट कर दी है कि वे फ्रांस में बुर्के के खिलाफ हैं. 2004 में फ्रांस के स्कूलों में बुर्का पहनने पर बैन लगाया गया था.

रिपोर्ट: एजंसियां/ईशा भाटिया

संपादान: रोम यादव