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हवा में गधे को उड़ाना बना गले की फांस

२० जुलाई २०१०

गर्मी के मौसम में छुट्टियों का आनंद लेने के लिए लोग आमतौर पर समुद्र किनारे बीच पर पसर जाते हैं. लेकिन रूस में अजोव सागर के तट पर आराम कर रहे लोगों को हैरान कर देने वाला अनुभव हुआ. उन्होंने हवा में उड़ते एक गधे को देखा.

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तस्वीर: DW

आसमान साफ था गोलूबित्काया शहर के कोसाक गांव में समुद्र तट पर छुट्टी मना रहे लोग गर्मी में ठंडी हवा का लुत्फ उठा रहे थे. लेकिन आकाश की ओर चेहरा करके लेटे लोग अचानक हैरान रह गए. उन्होंने देखा कि पैराशूट से एक गधा बंधा हुआ है और हवा में उड़ रहा है. गधा बेहद डरा हुआ था और जोर जोर से रेंक रहा था. बीच पर लेटे कई लोगों को अपने ऊपर से गधा उड़ता दिखाई दिया.

स्थानीय पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि रूस के कुछ व्यवसायियों ने अपने प्रचार के लिए यह तरीका अपनाया जिसमें गधे का इस्तेमाल किया गया. बीच पर जाने वाले लोगों का वे ध्यान खींचना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने गधे का इस्तेमाल किया. उसे पैराशूट में बांधकर हवा में उड़ा दिया. लेकिन उनका यह तरीका बहुत से लोगों के गले नहीं उतरा है और उन्होंने गधे के साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार की निंदा की है.

प्रचार के लिए अपनाए गए इस तरीके पर लोगों की त्योरियां चढ़ जाने से व्यवसायी मुश्किल में फंस गए हैं. बीच पर छुट्टियां मना रहे लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश में अब वे खुद पुलिस जांच के केंद्र में आ गए हैं. पुलिस प्रवक्ता लारिसा तुचकोवा ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "गधा जोर जोर से रेंक रहा था और उसे चिल्लाता देख बच्चे डर गए और रोने लगे. किसी को कुछ समझ में ही नहीं आया. यहां तक की किसी ने पुलिस को भी नहीं बुलाया."

पुलिस के मुताबिक असहनीय पीड़ा झेल रहे गधे की मदद को तो कोई सामने नहीं आया बल्कि लोगों ने उसकी तस्वीरें खींचनी शुरू कर दी. स्थानीय अखबार के दफ्तर में फोन की झड़ी लग गई. स्थानीय अखबार तमन में छपी खबर में कहा गया, "गधे को हवा में इतना ऊंचा उड़ाया गया कि बच्चे रोने लगे और उन्होंने अपने माता पिता से पूछा कि पैराशूट से एक कुत्ते को क्यों बांधा गया है." लेकिन गधे के कष्ट का इतने पर ही अंत नहीं हुआ. उसका नीचे उतरना और भी कष्टदायी रहा.

नीचे उतारते समय पहले गधे को कई मीटर तक पानी में घसीटा गया और फिर उसे तट तक लाया गया. गधे की हालत बेहद खराब लग रही थी और वह मरणासन्न हालत में था. तमन अखबार की संपादन एलेना लोवलेवा का कहना है कि रूस में पशुओं का उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है लेकिन जिस तरह यह घटना हुई है उसने अन्य उदाहरणों को भी पीछे छोड़ दिया है. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य