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भारत की इंपोर्ट ड्यूटी ने जेबरा को भी नहीं बख्शा

२ अगस्त २०१०

भारत मे जेबरा यानी चितकबरे घोड़ों की संख्या तेजी से घट रही है. चिड़ियाघरों में जेबरा के बुरे हाल को देखते हुए पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया. रमेश ने कहा, जेबरा से इंपोर्ट ड्यूटी हटाएं.

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तस्वीर: AP

भारत में जेबरा पैदा नहीं होते. सालों पहले कुछ जेबरा दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे. इस उम्मीद में कि बाद में इनकी संख्या खुद ही बढ़ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उल्टा चिड़ियाघरों में कैद चितकबरे घोड़ों की संख्या लगातार कम होती गई. यह जानकारी सामने आने के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने जेबरा के आयात का मन बनाया है.

लेकिन रुकावट वित्त मंत्रालय के दरवाजे से लगी हुई है. वित्त मंत्रालय ने जेबरा के आयात पर 36 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है. यानी पहले विदेश में जेबरा खरीदो, फिर जहाज से उसे भारत लाओ और अंत में 36 फीसदी टैक्स चुकाओ. रमेश ने मांग की है कि वित्त मंत्रालय अगर जेबरा पर लगाई गई इंपोर्ट ड्यूटी को खत्म कर दे तो भारत में चितकबरे घोड़ों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी.

Der Minister für Industrien und Handel Vilasrao Deshmukh und Umweltminister Jairam Ramesh
रमेश का बेबाक बयानतस्वीर: UNI

रमेश ने कहा, ''यह चौंकाने वाली बात है कि जेबरा पर 36 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है. अभी देश में ऐसे जेबरा ही नहीं हैं जो प्रजनन कर सकें. ऐसे में इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से योजनाओं को धक्का लग रहा है.'' रमेश के मुताबिक उन्होंने इस बाबत वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को खत लिखा है.

दरअसल यह मामला आंध्र प्रदेश के वन और पर्यावरण मंत्री पी रामचंद्र ने उठाया. उन्होंने कहा कि भाड़े और इंपोर्ट ड्यूटी को मिलाकर 12 जेबराओं की कीमत 60 लाख से ज्यादा बैठ रही है. जबकि अफ्रीका में जेबरा की कीमत बहुत मामूली है. दक्षिण अफ्रीका, सोमालिया, कीनिया और इथोपिया में यह धारीदार जंगली घोड़े भरे पड़े हैं. रामचंद्र का हवाला देते हुए रमेश ने कहा, ''इतनी महंगी दर पर जेबरा खरीदना चिड़ियाघरों और यहां तक केंद्रीय चिड़ियाघर संघ के बस की बात भी नहीं है.''

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादनः आभा एम