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सीबीआई ने आरुषि के मां बाप को घेरा

१ जनवरी २०११

चर्चित आरुषि हत्याकांड में शुक्रवार को उस वक्त नया मोड़ आया जब सीबीआई ने आरुषि के माता पिता की भूमिका पर सवाल उठाया. सीबीआई का आरोप है कि राजेश और नूपुर तलवार ने मोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को प्रभावित करने की कोशिश की.

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तस्वीर: AP

सीबीआई ने सबूतों के अभाव में इस केस को बंद करने का फैसला किया. इस सिलसिले में 29 दिसंबर को गाजियाबाद की अदालत में पेश सीबीआई की 30 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजेश और नूपुर ने आरुषि के कमरे को धो दिया था और पुलिस को यह कह कर रेलवे स्टेशन की तरफ भेज दिया कि वह उनके नौकर हेमराज को पकड़े. यह बात 16 मई 2008 की सुबह की है.

दिल्ली से सटे नोएडा में 14 वर्षीय आरुषि की 15 मई 2008 की रात को उसके घर में ही हत्या की गई. 16 मई को आरुषि की लाश मिलने के अगले ही दिन छत पर हेमराज का भी शव मिला. सीबीआई का कहना है कि आरुषि के माता पिता ने अपनी बेटी का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को प्रभावित करने की कोशिश की. इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए नूपुर कहती हैं, "ये बिल्कुल बकवास बात है. सीबीआई का यह आरोप हास्यास्पद है. हम तो जांच को आगे बढ़ाने के लिए कहते रहे हैं."

उल्टे उन्होंने सीबीआई पर आरोप लगाया है कि वह इस मामले में यूपी पुलिस की लचर जांच पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. नूपुर के मुताबिक न तो उन्हें और न ही उनके पति को पता था कि आरुषि का पोस्टमार्टम कहां हो रहा है. उनका कहना है कि जब आरुषि की लाश मिली, तभी तड़के पुलिस ने घटनास्थल को अपने नियंत्रण में ले लिया.

सीबीआई का कहना है कि आरुषि के सिर पर मिली चोट का घाव उतना ही बड़ा था जितनी बड़ी राजेश तलवार की एक गोल्फ क्लब यानी गोल्फ खेलने वाली छड़ी थी. जांच एजेंसी का कहना है कि यह गोल्फ क्लब तलवार दंपत्ति ने गहन पूछताछ के बाद दी थी. लेकिन नूपुर सीबीआई के इस दावे को भी खारिज करती हैं. उनका कहना है कि खुद उन्होंने यह गोल्फ क्लब दी जबकि सीबीआई ने इसे कभी मांगा ही नहीं.

इस मामले को बंद करने के लिए आलोचना की शिकार बन रही सीबीआई का कहना है कि आरुषि के माता पिता का व्यवहार बहुत ही संदेहास्पद रहा है. सीबीआई की रिपोर्ट का कहना है कि तलवार को आरोपी बनाया गया लेकिन सबूतों के आभाव में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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