1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

25 से कम उम्र के लोगों को शराब नहीं

३ जून २०११

मुंबई विधानसभा ने फैसला लिया है कि मुंबई सहित महाराष्ट्र के सभी शहरों में 25 साल से कम उम्र वालों को शराब नहीं बेची जाएगी. बीयर के लिए यह प्रतिबंध 21 साल तक. कम उम्र में शराब की लत नहीं लगे, इसलिए यह कदम उठाया गया.

https://p.dw.com/p/11TDP
तस्वीर: picture alliance/dpa

इस फैसले पर शराब उद्योग ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. विधानसभा ने बीयर खरीदने के लिए उम्र की सीमा 18 से बढ़ा कर 21 कर दी है और स्पिरिट के लिए यह अब 21 की बजाए 25 साल होगी. इस फैसले के तहत कम उम्र के लोगों को शराब दिए जाने पर दंड भी लगाया जाएगा और ड्राय डे के दिन खुले स्थानों पर, रेस्टोरेंट में शराब देने पर दंड का प्रावधान है.

इस फैसले पर शराब निर्माताओं ने नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि शराब का इस्तेमाल करने वाले युवाओं में अधिकतर 25 साल से कम के हैं. तो एक युवा ने कहा कि यह रोक ऐसी है जैसे युवाओं को पार्टी करने से कोई मना कर दे.

होटेल, रेस्टोरेंट और शराब निर्माताओं ने इस फैसला का विरोध करते हुए कहा कि इससे उनके व्यवसाय पर असर पड़ेगा. ऑफिसर्स चॉइस नाम की व्हिस्की बनाने वाली कंपनी अलाइड ब्लेंडर्स एंड डिस्टिलर्स के मुख्य सीईओ दीपक रॉय ने कहा, "अल्कोहोल लेने वाले 30 फीसदी से ज्यादा लोग 25 साल के कम के हैं. मुझे नहीं पता कि इस फैसले के पीछे तर्क क्या है जबकि उन्हें 18 साल की उम्र में वोट देने का हक है."

Fragezeichen
यही है वह 'सवाल का निशान' जिसे आप तलाश रहे हैं. इसकी तारीख़ 03, 04, 05/06.2011 और कोड 1199 हमें भेज दीजिए ईमेल के ज़रिए hindi@dw-world.de पर या फिर एसएमएस करें +91 9967354007 पर.तस्वीर: picture-alliance

वहीं बाकार्डी इंडिया के मुख्य कार्यकारी महेश माधवन का कहना है, "222 अल्कोहोल के ब्रांड 25 साल से कम उम्र वाले लोग लेते हैं और यही सबसे ज्यादा शराब पीते भी हैं."

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चौहान ने कहा कि महाराष्ट्र में शराबखोरी एक सामाजिक समस्या है और इस पर कार्रवाई करना जरूरी है."शराब से परिवार और स्वास्थ्य दोनों ही खराब होते हैं."

आश्चर्य की बात है महाराष्ट्र सरकार जिसे आगे बढ़ा रही है उस रेड वाइन को पीने के लिए किसी आयुसीमा का निर्धारण नहीं किया गया है. पुणे और नासिक में कई वाइनयार्ड्स हैं. 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने डांस बार पर रोक लगाई थी लेकिन इसे अगले ही साल बॉम्बे हाईकोर्ट ने उलट दिया और कहा कि महाराष्ट्र सरकार का फैसला भारतीय संविधान की उस मूल अधिकार का हनन है जो रोजगार की गारंटी देता है.

हालांकि इन नाइट क्लबों के बंद होने के समय पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है. उपभोक्ता विश्लेषक विजय चुग कहते हैं कि इस रोक को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया जा सकेगा और इसका ज्यादा असर भी नही होगा. बाजार में भले ही शराब का उपभोग कम हो जाए लेकिन घर में बढ़ जाएगा.

रिपोर्टः एएफपी/आभा एम

संपादनः एस गौड़

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें