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किंगफिशर के लिए 'घर की चांदी नहीं बेचूंगा'

२८ अक्टूबर २०१२

विजय माल्या ने कहा है कि उन्हें किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए न तो ब्रिटिश कंपनी डिएगो से डील करने की जरूरत है और नहीं निजी कीमती सामन बेचने की जरूरत है.

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तस्वीर: AP

फोर्स इंडिया के ऑफिस में विजय माल्या ने कीमती सामान को बेचने के बारे में मीडिया रिपोर्टों पर कहा, "मैं क्या करने वाला हूं इस बारे में मीडिया का नजरिया है. मुझे नहीं लगता कि मुझमें व्यावसायिक सूझबूझ इतनी कम है कि मैं बढ़िया मुनाफे वाले धंधे को पैसे के लिए बेच दूंगा और इसे भारत जैसे माहौल में एयरलाइंस में लगा दूंगा."  

बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर फार्मूला वन के दौरान उन्होंने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से इंटरव्यू में कहा, "मेरा ग्रुप पैसा बनाने में सक्षम है ताकि हम एयरलाइंस को फंड कर सकें. हमने अप्रैल 2012 से अभी तक करीब 15 करोड़ पाउंड इसमें लगाए हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं कंपनी को चलाने के लिए अपने परिवार की चांदी बेच दूं." 

माल्या जॉनी वॉकर विस्की और स्मिरनॉफ वोदका बनाने वाली कंपनी डिएगो पीएलसी के साथ अपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स के कुछ शेयर बेचने की बात कर रहे हैं. लेकिन इस सप्ताह के शुरुआत में वह ये तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें लंदन की कंपनी की शर्ते माननी चाहिए या नहीं. डिएगो के साथ समझौता करना कोई जरूरी नहीं. "मैं किसी भी मजबूरी में नहीं हूं. लेकिन मैं वही करूंगा जो मेरे, मेरे परिवार की संपत्ति और लंबे समय के लिए शेयरों की कीमत के लिए अच्छा होगा. मुझे यह हर बिजनेस के लिए करना जरूरी है. एयरलाइंस को बचाने के लिए कीमती सामन बेचना, ऐसा कोई प्लान नहीं है."

किंगफिशर एयरलाइंस कभी भी मुनाफे में नहीं गई थी. पिछले सप्ताह उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया. और इसके विमानों में अक्टूबर की शुरुआत से अभी तक उड़ान नहीं भरी क्योंकि कंपनी में हड़ताल चल रही थी.

Indien Fluglinie Airline Kingfisher
तस्वीर: AP

वित्तीय अड़चन में उलझी कंपनी ने शुक्रवार को कहा है कि वह अपने ही पैसे से फिर काम करना शुरू करेगी. इससे एक दिन पहले कंपनी के कर्मचारी काम पर लौटने के लिए राजी हो गए हैं क्योंकि एयरलाइंस ने 13 नवंबर तक उन्हें बकाया वेतन दे देने का वादा किया है. 

एशिया पैसिफिक एविएशन के मुताबिक किंगफिशर पर ढाई अरब डॉलर का कर्ज है. माल्या ने कहा कि एयरलाइंस के बारे में फैसला पेशेवर तरीके से लिया जाना चाहिए. लेकिन वह एयरलाइंस को बचाना चाहते हैं. "माहौल और सरकारी नीतियां ऐसी होना चाहिए जिससे मुझे उत्साह मिले. इसलिए हम अपना बेस्ट काम करेंगे और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं."

उन्होंने कहा कि किंगफिशर की दुर्दशा के कारण हैं लेकिन उन्होंने ज्यादा जोर कर और भारतीय सरकार पर दिया. " पेट्रोल की बहुत ज्यादा कीमतें, बहुत ज्यादा कर, विदेशी निवेश की कम अनुमति. छह सप्ताह पहले तक इतने तथ्य थे जो भारतीय उड्डयन स्पेस को अनाकर्षक बनाते थे. सरकार को करों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. आप ईंधन की बिक्री पर 25 फीसदी का औसत टैक्स नहीं लगा सकते जब कच्चे तेल की कीमत 60-70 डॉलर प्रति बैरल उछल रही हो और अभी तो यह कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल है."

माल्या एयरलाइंस कंपनी के लिए पार्टनर ढूंढ रहे हैं. और उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने दो इन्वेस्टमेंट बैंकरों को लगाया है. "भारतीय या विदेशी साझेदार. हम कुछ निवेशकों से बातचीत कर रहे हैं. अब आप छह हफ्ते में कोई समझौता नहीं कर सकते, यह असंभव है. इसमें कम से कम छह महीने लगेंगे. काम आगे बढ़ रहा है और हम एक मजबूत और अच्छा पैकेज बनाने की कोशिश कर रहे हैं."

एएम/एमजी (रॉयटर्स)