1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चल उड़ जा रे पंछी : विदा, स्टारडस्ट !

१ अप्रैल २०११

कई आश्चर्यजनक सफलताओं का इतिहास निर्मित करने वाले , अमरीकी अंतरिक्ष एजैंसी के अंतरिक्षयान स्टारडस्ट को हमेशा के लिए अवकाश दे दिया गया है. उसे एक धूमकेतु से नमूने इकट्ठे करने का काम सौंपा गया था.

https://p.dw.com/p/10m9P
तस्वीर: dpa - Bildfunk

अमरीकी अंतरिक्ष एजैंसी नासा को सौर-प्रणाली के बारे में एक के बाद एक कई सबक़ देने के बाद, 'स्टारडस्ट' अंतरिक्षयान ने पिछले सप्ताह अपने अंतिम क्षणों में, अपना सारा ईंधन जला देने के आदेश जारी कर दिए. लेकिन 'स्टारडस्ट' के काम से मिलने वाले सबक़ अभी भी जारी है.

'स्टारडस्ट' धूमकेतुओं के रहस्यों की तलाश में जुटा नैसा का सबसे वरिष्ठ अंतरिक्षयान था. सवाल यह है कि धूमकेतुओं की खोज अहम क्यों है? दरअस्ल, वे सौर प्रणाली के सबसे पुराने, सबसे आदिम पिंड हैं, जिनमें उस नीहारिका यानी नैबुला की सामग्री का सबसे पुराना रिकॉर्ड मौजूद है, जिससे सूर्य और ग्रहों का निर्माण हुआ था.

धूमकेतुओं के ये रहस्य इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं, इसका ज़िक्र करते हुए मूल 'स्टारडस्ट' मिशन के प्रमुख विश्लेष्क डॉन ब्राउन का कहना है, "धूमकेतु सौर प्रणाली के किन्हीं भी और पिंडों के मुक़ाबले अनूठे हैं, क्योंकि जब वे सौर प्रणाली के अंदरूनी भाग में होते हैं - जहां पर हमारी पृथ्वी है, तो वे लगभग विखंडित होने की स्थिति में होते हैं, और टनों गैस, चट्टान और धूल अंतरिक्ष में रवाना कर रहे होते हैं."

तो, इन्हीं चट्टानों और धूल के बादलों में से गुज़रते हुए 'स्टारडस्ट' ने अरबों मील की अपनी यात्रा पूरी की.

एक और मिशन

यान को 7 फ़रवरी, 1999 को छोड़ा गया था और उसने अपना प्रमुख मिशन जनवरी, 2006 में पूरा कर लिया था, जब उसने पैराशूट से लैस एक डिब्बे में 'वाइल्ड टू' कहलाने वाले धूमकेतु के कणों का एक छोटा सा नमूना पृथ्वी पर भेजा था.. तब तक 'स्टारडस्ट' ऐन फ़्रैंक नाम की ग्रहिका यानी ऐस्टरायड के पास से गुज़र चुका था.

Flash-Galerie Filmfotos zu Space Tourists von Christian Frei
तस्वीर: Internationales Filmfestival Istanbul

उसके बाद नासा ने इस अंतरिक्षयान को एक नई परियोजना सौंपी – टेम्पल-1 धूमकेतु के पास से गुज़रते हुए छवियां और अन्य व्यौरा जुटाने का काम, जो नया करतब उसने इस वर्ष फ़रवरी में अंजाम दिया. इस परियोजना को नाम दिया गया - 'स्टारडस्ट नेक्स्ट'. 'स्टारडस्ट नेक्स्ट' के इन लक्ष्यों में शामिल था धूमकेतु की सतह के उन क्षेत्रों में आए परिवर्तन को देखना, जो इलाक़े, 2005 के 'डीप इंपैक्ट' मिशन के दौरान देखे गए थे. इसके अलावा उसके हवाले किए गए काम थे, नए इलाक़ों की छवियां हासिल करना और उस गड्ढे को देख पाना, जो 2005 में धूमकेतु पर भेजे गए इंपैक्टर या कहें, संघातक पिंड से बना था.

सफलता का अनूठा इतिहास

तो वहां से 'स्टारडस्ट' ने 2005 के 'डीप इंपैक्ट' मिशन में टेम्पल-1 पर पड़ने वाले एक निशान की नई छवियां भेजीं. अपने इस मिशन के दौरान यान, 14 फ़रवरी को टैम्पल-1 के पास से उसके सबसे अधिक निकट फ़ासले से गुज़रा - लगभग 178 किलोमीटर की दूरी पर. 'स्टारडस्ट' ने धूमकेतु की 72 अत्यंत सुस्पष्ट तस्वीरें लीं. उसने धूमकेतु के वातावरण में मौजूद धूल के संबंध में 468 किलोबाइट व्यौरा भी इकट्ठा किया.

'स्टारडस्ट नेक्स्ट' मिशन ने अपने लक्ष्य बाक़ायदा पूरे किए. उसकी इस सफलता का ज़िक्र करने का 'स्टारडस्ट नेक्स्ट' मिशन के प्रमुख जांचकर्ता जो विवैर्का का अंदाज़ कुछ अनूठा था, "क्या यह मिशन विज्ञान की दृष्टि से सौ फ़ी सदी सफल था. मैं कहूंगा 'नहीं '. यह दरअसल, एक हज़ार प्रतिशत सफल था. हमने अपने सारे वैज्ञानिक लक्ष्य पूरे किए हैं. वास्तव में, अब हमारे पास 'डीप इंपैक्ट' मिशन के दौरान धूमकेतु से यान के टकराने के संबंध में तुलनात्मक व्यौरा मौजूद है. और दरअस्ल अब हम 'डीप इंपैक्ट' से बने गड्ढे को देख सकते हैं."

अरबों मील की यात्रा

अपने मूल और इस दूसरे मिशन के लिए 'स्टारडस्ट' ने कुल मिलाकर 5.69 अरब किलोमीटर यानी 3.54 अरब मीलों की यात्रा तय की है - और इस तरह वह धूमकेतुओं की तलाश के इतिहास का सबसे अधिक यात्रा कर चुका अंतरिक्षयान है.

दर्जनों अरब मीलों की ऐसी लंबी यात्रा की योजना कैसे, किस आधार पर तैयार की जाती है. नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में सह-प्रशासक ऐड वाइलर की इस संबंध में टिप्पणी सुनने लायक़ है, "मैं स्कूल के बच्चों को एक संदेश देना चाहता हूं. जो सोचते होंगे कि नैसा किसी अंतरिक्षयान को सौर प्रणाली में अरबों मील तक की ऐसी यात्रा पर किस भरोसे भेज सकती है, जिसमें यान किसी केवल कुछ किलोमीटर व्यास वाले एक नन्हे से धूमकेतु के पास जा पहुंचता है. जवाब है, गणित. "

और अब, गणित के चमत्कार का यह अद्भुत नमूना, अपनी बीसियों अरब मील की यात्रा के बाद अंतरिक्ष की गहराइयों में खो गया है.

रिपोर्ट: गुलशन मधुर, वाशिंगटन

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी