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बंगारू लक्ष्मण को चार साल की सजा

२८ अप्रैल २०१२

भारत में विपक्षी पार्टी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को चार साल की सजा सुनाई गई है. उन पर पार्टी प्रमुख रहते हुए एक लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप था, जो शुक्रवार को साबित हो चुका है.

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तस्वीर: dpa

ऑनलाइन न्यूज पोर्टल तहलका डॉट कॉम के एक स्टिंग ऑपरेशन में एक जाली हथियार डील के सिलसिले में लक्ष्मण को एक लाख रूपये रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था. शुक्रवार को विशेष सीबीआई जज कंवलजीत अरोड़ा ने बंगारू लक्ष्मण को भ्रष्टाचार का दोषी पाया. यह मामला 11 साल से ज्यादा पुराना है.

सीबीआई ने अदालत से 72 साल के लक्ष्मण को पांच साल की अधिकतम सजा देने की मांग की ताकि भ्रष्टाचार से कड़ाई से निबटा जा सके. लेकिन बीजेपी नेता ने अदालत से खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर नरमी बरतने और सिर्फ छह महीने की सजा देने की दरख्वास्त की. उन्होंने कहा, "मेरा स्वास्थ्य खराब है. मैंने दो बार बाइपास सर्जरी कराई है और मुझे डायबिटिज भी है." बंगारू लक्ष्मण ने कहा कि वे पहले इस तरह के मामले में शामिल नहीं रहे हैं, इसलिए उन्हें न्यूनतम सजा दी जानी चाहिए.

लक्ष्मण उस समय सत्ताधारी बीजेपी के अध्यक्ष थे और प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी थे. तहलका डॉट कॉम ने 2001 में स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया, जिसमें लक्ष्मण को एक पत्रकार से नोटों की गड्डी लेते हुए दिखाया गया. इस पत्रकार ने खुद को ब्रिटेन की एक हथियार कंपनी का प्रतिनिधि बताया था. उन्हें यह पैसे सेना को थर्मल दूरबीन बेचने में मदद के नाम पर दिए गए थे. वीडियो जारी होने के बाद बंगारू लक्ष्मण ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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तस्वीर: Tehelka.com

अदालत ने लक्ष्मण तो भ्रष्टाचार विरोधी कानून तोड़ने का दोषी पाया और कहा कि उन्होंने एक लाख रुपये की रिश्वत ली और रक्षा मंत्रालय में काम करने वाले अधिकारियों को प्रभावित करने के बदले और राशि स्वीकार करने की सहमति दी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा, "समाज और अभियुक्त के दोहरे हितों को संतुलित करते हुए मेरा मानना है कि न्याय के हित में अभियुक्त को चार साल की सश्रम कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा दी जानी चाहिए."

लक्ष्मण आरएसएस के साथ रिश्तों वाली बीजेपी के पहले दलित अध्यक्ष थे. वे 1996 में राज्यसभा के सदस्य बने और पार्टी अध्यक्ष बनने से पहले वाजपेयी की सरकार में रेल राज्यमंत्री भी रहे.

मामला सामने आने के बाद से बीजेपी ने उनसे दूरी बना ली और उन्हें बाद में कोई पद नहीं दिया गया. हालांकि लक्ष्मण खुद पार्टी के सदस्य बने रहे. अब उनके खिलाफ अदालत का फैसला आने के बाद बीजेपी ने एक बार फिर दूरी दिखाई है. पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, "हम कोर्ट के फैसले का आदर करते हैं, लेकिन कोर्ट का फैसला उनके व्यक्तिगत व्यवहार पर है. बीजेपी का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है."

एमजे/एजेए (पीटीआई, डीपीए)

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