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सरकार को चिट्ठी, परमाणु प्रोजेक्ट रोको

१ अप्रैल २०११

प्रधानमंत्री की विज्ञान सलाहकार परिषद के सदस्य और भारत के वैज्ञानिक पी बालाराम ने कहा है कि भारत सरकार भविष्य के परमाणु प्रोजेक्ट को स्थगित कर दे और परमाणु ऊर्जा नीति पर पुनर्विचार करे.

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कलपक्कम परमाणु केंद्रतस्वीर: dpa

पी बालाराम ने सरकार को खुली चिट्ठी लिखी है जिस पर 50 जाने मान लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. बालाराम भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की विज्ञान सलाहकार परिषद के सदस्य हैं. उन्होंने जापान के परमाणु संकट को भारत के लिए एक चेतावनी बताया है.

बलराम ने पत्र में लिखा है, "हमारा पक्का मानना है कि भारत को अपनी परमाणु ऊर्जा नीति पर आवश्यक रूप से फिर से विचार करना चाहिए. इस पुनर्विचार के दौरान अगले सभी परमाणु प्रोजेक्ट्स को स्थगित कर देना चाहिए और हाल ही में शुरू किए गए परमाणु प्रोजेक्ट रोक देने चाहिए."

खतरे का व्यापार

भारत ने अमेरिकी सरकार से परमाणु ऊर्जा का समझौता किया जिस पर तात्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने हस्ताक्षर किए. इसी के साथ भारत पर परमाणु सामग्री के व्यापार पर 30 साल से लगी रोक खत्म हो गई.

तब से फ्रांस रूस और अमेरिका की निजी कंपनियों सहित जापानी कंपनियां भी भारत में नई परमाणु संयंत्र तकनीक बेचने की होड़ में हैं.

Indien Premierminister Manmohan Singh Korruptionsvorwürfe
तस्वीर: AP

भारतीय सरकार से परमाणु ऊर्जा नीति के पुनर्विचार की पहली अपील की गई है, वह भी सरकारी धड़े की ओर से. पत्र में कहा गया है, "आण्विक ऊर्जा विभाग ने दुर्घटना की आशंका को बहादुरी से कम कर दिया है और घोषणा कर दी है कि भारतीय परमाणु संयंत्र किसी दुर्घटना का शिकार हो ही नहीं सकते."

खतरा तो है

पत्र में दलील दी गई है कि जापान के संकट ने यह साबित कर दिया है, तकनीकी तौर पर अति उन्नत देश के परमाणु संयंत्रों पर भी प्राकृतिक आपदाओं का असर पड़ता है. चाहे वहां कितने ही अच्छे और मजबूत सुरक्षा उपाय किए गए हों.

भूकंप की आशंका वाले महाराष्ट्र के इलाकों में छह परमाणु रिएक्टर हैं जो 9,600 मेगावॉट बिजली पैदा करते हैं. फ्रांसीसी कंपनी अरेवा ने भारत के साथ 9.3 अरब डॉलर का फ्रेमवर्क समझौता भारत किया है. वह भारत के जैतापुर के लिए पहले दो रिएक्टर की आपूर्ति करेगा. यह प्लांट 2018 में ऊर्जा उत्पादन शुरू करेगा.

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया है कि देश के सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा चोखी होगी.

भारत परमाणु तकनीक का दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. वह 2032 तक 63 हजार मेगावॉट बिजली परमाणु ऊर्जा के जरिए पैदा करना चाहता है. अभी वह सिर्फ 4,560 मेगावॉट के स्तर पर है. पिछले महीने भारत के परमाणु ऊर्जा नियामक श्रीकुमार बनर्जी ने कहा था कि दिल्ली की सड़कों पर चलना देश के 20 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से ज्यादा खतरनाक है.

नए नियमों की दरकार

परमाणु ऊर्जा पर बहुत ज्यादा निर्भर फ्रांस ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में नए वैश्विक नियम बनाए जाने चाहिए. फ्रांस ने जापान को भी परमाणु संकट से उबरने के लिए तकनीकी मदद भेजी है.

जर्मनी की गठबंधन सरकार ने फैसला किया है कि वह देश के 17 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सुरक्षा और बेहतर करेगी. जर्मनी की सरकार ने देश के सबसे पुराने सात परमाणु संयंत्रों को पूरी तरह से बंद कर दिया जब तक कि सुरक्षा जांच न हो जाए. जर्मनी की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी आरडबल्यूई ने इन सात ऊर्जा संयंत्रों को बंद करने के फैसले पर मुकदमा दायर करने की बात कही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः वी कुमार

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