स्कूल के लिए हो रहे हैं फिट बच्चे
१८ अगस्त २०११इस साल से स्कूल जाने की फिलहाल बहुत से बच्चे तैयारी कर रहे हैं. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में बच्चे को भेजने का मतलब है कि पूरे परिवार में बदलाव आना. अगर थोड़ी तैयारी करें तो बच्चे के स्कूल जाने के वक्त होने वाले तनाव और दबाव को टाला जा सकता है. एक अच्छी शुरुआत के लिए घर में उस बच्चे के लिए सकारात्मक माहौल बनाना आदर्श है जो स्कूल जाने वाले होते हैं.
म्यूनिख की लुडविग मैक्समिलियान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योआखिम कालर्ट कहते हैं, "आम तौर पर बच्चे स्कूल जाने को अपनी जिंदगी में बड़े बदलाव के तौर पर देखते हैं. वह इसे खुशी और तनाव के मिश्रण के तौर पर देखते हैं. उनके अंदर जिज्ञासा और बड़ी उम्मीद होती हैं. उनके लिए यह समय दिखाता है कि अब वह भी बड़े हो गए हैं."
अभिभावकों को अपने बच्चों की जिज्ञासा और नए अनुभवों की इच्छा का समर्थन करना चाहिए. माता पिता की परेशानी को कम करने के लिए बहुत सारे स्कूल अभिभावकों को जानकारी देते हैं और स्कूल का दौरा कराते हैं. बच्चे स्कूल से क्या उम्मीद कर सकते हैं घर में इस विषय पर भी बात होनी चाहिए. अगर आपका बच्चा अपने दिमाग में तस्वीर बना लेता है कि एक स्कूल कैसा होता है तो उसका जिंदगी में अगला कदम कम अनिश्चित होगा.
कालर्ट के मुताबिक, "अगर बच्चा नए बच्चों या फिर टीचर से मिलने से चिंतित हो रहा हो तो उसे उन मुलाकातों को याद दिलाना चाहिए जहां अनजाने बच्चों के साथ उसने बढ़िया समय बिताया हो. इस चीज का भी ख्याल रखना चाहिए कि अगर आप किसी चिंता से परेशान हैं तो उसको अपने बच्चों के साथ ना बांटे. जर्मनी के पासाओ में कारितास शिक्षा सुझाव सेंटर के अलबर्ट माइंडेल कहते हैं, "कुछ अभिभावकों के पास अपने स्कूल की अच्छी यादें नहीं हैं. उन यादों को अभिभावक अपने तक ही रखें."
जीईडब्ल्यू टीचर्स ट्रेड यूनियन की हेनरिके श्नाइडर पेत्री कहती हैं, "स्कूल के पहले दिन को और सुहावना बनाने के लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं. अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने जाने की आदत डाल लें. शुरुआत में आप शॉर्ट कट रास्ता नहीं बल्कि सुरक्षित रास्ता चुनें. पहले खुद इन रास्तों को आजमाए फिर अपने बच्चे के साथ या तो स्कूल शुरू होते वक्त या खत्म होते वक्त इसका इस्तेमाल करें." कालर्ट कहते हैं जैसे ही बच्चों को किताब मिले उस पर जिल्द लगानी चाहिए. चाहे तो बच्चे के साथ बैठकर कुछ पन्ने भी पलट सकते हैं. परिवारों को सबसे बड़ी परेशानी दिनचर्या के बदलाव से भी होती है.
कालर्ट कहते हैं, "बच्चे जब से स्कूल जाने लगते हैं वह एक विशिष्ट दैनिक संरचना के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं. इसका असर अभिभावकों पर भी पड़ता है. बच्चे देर तक भी जागते हैं. अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा ध्यान लगाकार पढ़ाई करे तो आप भी अपने रूटीन में बदलाव लाएं. परिवार जल्दी सोने की आदत डाल सकता है." जानकार कहते हैं कि बच्चा जब स्कूल से पहली बार वापस लौटता है तो उसके पास बताने को बहुत कुछ होता है. ऐसे समय में माता पिता को उसके पास होना चाहिए.
रिपोर्ट:एजेंसियां/आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा