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भारत में फांसी देने वालों की कमी

३१ मई २०११

राष्ट्रपति द्वारा दो दोषियों की दया याचिका खारिज किए जाने पर उनकी फांसी की तारीख तय नहीं हो पा रही है. क्योंकि फांसी देने वाला ही नहीं मिल पा रहा है. भारत में आखिरी बार 2004 में फांसी की सजा पर अमल किया गया था.

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तस्वीर: Akhtar Ghasemi

भारत में 7 साल के बाद हो रही पहली फांसी टाल दी जा सकती है. अधिकारियों ने बताया कि फांसी देने वाला नहीं मिल पा रहा है. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पिछले हफ्ते दो लोगों की दया याचिका खारिज कर दी थी, जिससे 2004 के बाद पहली बार फांसी की सजा का रास्ता साफ हो पाया है. लेकिन जेल प्रशासन अब तक इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है क्योंकि इसे पूरा करने के लिए फांसी लगाने वाला नहीं मिल पा रहा है.

फांसी देने वाले नहीं

Symbolbild Todesstrafe
तस्वीर: fotolea

असम के जोरहाट जिला जेल के अधीक्षक परेश चंद्र कोच कहते हैं, "फांसी देने वाले उपलब्ध नहीं है. जेल प्रशासन ने अन्य राज्यों से इसकी मांग की है. लेकिन हमें अब तक कोई जवाब नहीं मिले हैं. जब तक हमें फांसी देने वाले नहीं मिल जाता, फांसी की सजा तामील करने में देरी होगी." जोरहाट जेल में बंद महेंद्र नाथ दास को 1997 में फांसी की सजा सुनाई गई. वह एक कत्ल का दोषी है. 1993 में हुए दिल्ली विस्फोट के दोषी देविंदरपाल सिंह भुल्लर की भी दया याचिका राष्ट्रपति ने ठुकरा दी है. 2001 में आतंकी भुल्लर को फांसी की सजा हुई.

आखिरी बार 2004 में फांसी हुई

पिछले 15 सालों में सिर्फ दो ही लोगों का फांसी दी गई है. आखिरी बार 2004 में एक दोषी को फांसी की सजा दी गई थी. उससे पहले 1995 में फांसी की सजा हुई. आखिरी बार फांसी की सजा को तामील करने वाले नाटा मल्लिक का भी 2009 में निधन हो गया. आजादी के बाद देश में 55 लोगों को फांसी की सजा दी गई जिसमें से 25 लोगों को नाटा मल्लिक ने ही फांसी दी. दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद भुल्लर की फांसी की तारीख तय नहीं हो पाई है. तिहा़ड़ के लॉ आफिसर सुनील गुप्ता कहते हैं, "हां, फांसी देने वालों का मिलना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन हम किसी को जरूर ही खोज निकालेंगे."

रिपोर्टः पीटीआई/आमिर अंसारी

संपादनः एमजी

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