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आधी दुनिया का सफर अधूरा

७ मार्च २०१२

तरक्की की सारी हदें पार कर के भी हम मन की उस दीवार को नहीं तोड़ सके हैं जिसकी नींव शायद धर्म, जाति और देश की लकीरें खिंचने के पहले ही जम गई थी. स्त्री और पुरुष के बीच फर्क की इस दीवार के आगे हर तरक्की बेमानी है.

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Learning by ear
Learning by earतस्वीर: DW

जिनके बगैर न जीवन मुमकिन है न जीवन के अहसास, उन्हें अपनी ही बनाई दुनिया में अत्याचारों की ऐसी दास्तानों का पात्र बनना पड़ता है जहां उनकी पहचान सिर्फ स्त्री है. दुनिया बदल रही है, दूरियां सिमट रही हैं पर उनके बारे में बनी सोच का दायरा आज भी उसी जगह टिका है जहां से दुनिया बहुत पुरानी और बड़ी मायूस करने वाली दिखती है. कहीं कोई मुख्तारन माई और कहीं कोई संपत पाल इस दुनिया को अपनी सोच बदलने पर मजबूर कर रही है, उम्मीद की एक किरण जला रही है पर उन देशों में बहुत अंधेरा है जो दुनिया को चला रहे हैं.

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