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जलवायु परिवर्तन और चक्रवात

१४ नवम्बर २०१३

350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाला हैयान हो या 200 की गति वाला पाइलिन. गर्म होते महासागर चक्रवाती तूफानों का ईंधन बढ़ाते हैं. तो क्या भविष्य में ये और विनाशकारी होते जाएंगे?

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तस्वीर: Reuters/NASA

भारी तबाही मचाने वाले चक्रवाती तूफानों की खबरें हाल के दिनों में तेजी से बढ़ रही हैं. लेकिन जर्मन मौसम विभाग के क्रिस्टियान हेरॉल्ड कहते हैं, "जहां तक चक्रवाती तूफानों का सवाल है, ऐसा कोई ट्रेंड दिखाई नहीं दिया जिससे लगे कि चक्रवाती तूफान जल्दी जल्दी आने लगे हैं." इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मापने का समय तुलनात्मक रूप से कम है क्योंकि कुछ साल से चक्रवाती तूफान सैटेलाइट डाटा से मापे जा रहे हैं.

दुनिया के दूसरे हिस्से में मौसमविज्ञानी उष्णकटिबंधीय तूफान हरिकेन को उसकी तीव्रता के आधार पर आंकते हैं. इसलिए उसे एक से पांच के पैमाने पर मापा जाता है. इसी से पता चलता है कि किस हवा की गति से तूफान आएगा और उससे कितनी बारिश और हानि हो सकती है.

हैयान सबसे ऊंची श्रेणी वाला तूफान था जो फिलीपींस से वियतनाम होता हुआ दक्षिणी चीन पहुंचा. जलवायु पर शोध करने वाली पोट्सडाम संस्थान के फ्रीडरिष विलहेल्म गेर्स्टेनगार्बे कहते हैं, "जिस तरह की हवा की गति हमने फिलीपींस में देखी, वैसा अभी तक नहीं देखा गया था. हैयान से बहुत सारी भाप भी जमा हुई जिससे तूफान के बाद तेज बारिश और बाढ़ आई."

समंदर पर उष्णकटिबंधीय तूफान तब पैदा होता है जब 26 डिग्री वाले पानी का वाष्पीकरण होता है. भाप संघनित होती है, हवा गर्म होती है और ठंडी हवा के साथ ऊपर जाने लगती है. धरती के घूमने के कारण हवा घूमने लगती है. जब बवंडर तट पर पहुंचता है तो उसकी सारी ऊर्जा वहां निकलती है और भारी विनाश होता है.

पहले से तीव्र?

पिछले दशक में चक्रवात ज्यादा आने लगे हैं या नहीं इस मुद्दे पर वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं. लेकिन यह जरूर देखा गया है कि पिछले सालों में इसकी विनाशकारी ताकत जरूर बहुत बढ़ी है. गैर्स्टेनगार्बे कहते हैं, "अब ज्यादा ताकतवर उष्णकटिबंधीय चक्रवात आ रहे हैं, जिनकी तीव्रता तीन, चार और पांच है."

अमेरिका में फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने नेचर पत्रिका में लिखा है कि पिछले 30 साल में अटलांटिक में आने वाले बवंडरों में हवा की रफ्तार बढ़ी है. वहीं कैलिफोर्निया में ईओ लॉरेन्स लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी के केरी इमैन्युएल ने पता लगाया है कि पश्चिमी प्रशांत महासागर में हाल के सालों में चक्रवात ज्यादा विनाशकारी हो गए हैं.

Infografik Querschnitt durch einen tropischen Wirbelsturm Englisch
समंदर पर उष्णकटिबंधीय तूफान तब पैदा होता है जब 26 डिग्री वाले पानी का वाष्पीकरण होता है.

वहीं अन्य वैज्ञानिक किसी तरह का ट्रेंड नहीं देख रहे हैं. जरनल ऑफ क्लाइमेट में रॉजर पील्के जूनियर लिखते हैं कि पिछले दिनों में ही तूफानों के कारण ज्यादा नुकसान दर्ज हुआ लेकिन इस का कारण यह है कि बीमा की कीमत बढ़ रही है. तूफान जिस तट पर पहुंचा, वहां महंगे घरों के मालिक थे.

इतने सारे शोध अलग अलग नतीजों पर पहुंचे हैं, ये बात कील में समुद्री विज्ञान के हेल्महोल्स सेंटर जियोमार के मोजिब लतीफ को आश्चर्यजनक नहीं लगता. क्योंकि कभी कभी आने वाले इन तूफानों के बारे में आंकड़े कम हैं. वह कहते हैं, "अगर ऐसा कोई ट्रेंड है तो समझने में लंबा समय लगेगा कि हां यह है."

भविष्य में क्या?

यह बिलकुल संभव है कि आने वाले दिनों में ये चक्रवाती तूफान और ताकतकवर होंगे क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर गर्म हो रहा है. गैर्स्टेनगार्बे के मुताबिक, "ऐसे इलाके हैं जहां समंदर का तापमान तेजी से बढ़ा है, जैसे करैबियाई इलाकों में और वहां जहां अभी हैयान पैदा हुआ." वहां समंदर के पानी का तापमान करीब 30 डिग्री है, पहले यह 28 डिग्री होता था.

मौसम विज्ञानी स्वेन प्लोएगर बताते हैं, "सागर जितना गर्म होगा मौसम में उतनी आर्द्रता बढ़ेगी, और यही वह ऊर्जा है जिससे तूफान बनते हैं." यानी महासागरों का तापमान बढ़ने पर चक्रवातों के तीव्र होने की आशंका भी बढ़ जाएगी. वहीं क्रिस्टियान हेरॉल्ड संकेत देते हैं कि ये सिर्फ मॉडल हैं, "सिस्टम बहुत जटिल है. यह नहीं बताया जा सकता कि कितना तापमान बढ़ने पर तूफान पैदा हो सकते हैं या फिर वे किसी और प्रक्रिया के कारण कम होते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि पानी का तापमान बढ़ने से पर्यावरण में और पैरामीटर बदल जाएं जो इन तूफानों का बनना रोक दें."

तूफान चाहें तेज हों या धीमे सबसे जरूरी है कि चेतावनी पर ध्यान देते हुए बचाव और राहत कार्यों का प्रबंधन किया जाए. अगर तूफान के तुरंत बाद लगने वाली राहत की तैयारियां पहले से ही कर ली जाएं तो बहुत सारी परेशानी और तकलीफ कम हो जाएगी और लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी.

रिपोर्टः ब्रिगिटे ओस्टेराथ/आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया

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