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हक्कानी नेटवर्क पर दबाव बढ़ा रहा है अमेरिका

६ सितम्बर २०१२

हक्कानी नेटवर्क को ब्लैकलिस्ट कर अमेरिका की सरकार आतंकी संगठन के खिलाफ दबाव की नीति का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन अमेरिका के कई सांसदों का मानना है कि इससे पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संवेदनशील रिश्ते और बिगड़ेंगे.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी कांग्रेस जल्द ही तय करने वाली है कि हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाना चाहिए या नहीं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने पत्रकारों से कहा, "हमने काफी दिनों पहले तय कर लिया था कि अमेरिकी नीति हक्कानी नेटवर्क पर दबाव डालने की होगी. इसमें जिन प्रतिबंधों का हमने एलान किया है, वे तो होंगे ही, लेकिन साथ ही सैन्य दबाव भी डाला जाएगा." अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिटंन ने कहा है कि वे रविवार को तय करेंगी कि हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी करार दिया जाएगा या नहीं. उनका कहना है कि अमेरिकी सरकार नेटवर्क पर भारी दबाव डाल रही है. "यह काम अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सेना आईसैफ के साथ हमारी सेना के रोजाना काम का हिस्सा है. हम उनके संसाधनों को खत्म कर रहे हैं, हम उनकी सेना और उनके खुफिया अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं और पाकिस्तानियों से इनके खिलाफ कार्रवाई बढ़ाने को कह रहे हैं." तकनीकी तौर पर क्लिंटन केवल यह बता सकती हैं कि हक्कानी नेटवर्क आतंकवादी संगठन क्यों है. इस मामले पर फैसला अमेरिकी संसद ही ले सकता है.

एक तरफ कुछ अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस संगठन को ब्लैकलिस्ट करना चाहिए, लेकिन कुछ कहते हैं कि इससे पाकिस्तान के साथ अमेरिका के नाजुक संबंधों में और खराबी आ सकती है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में कुछ बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार है. सोमवार को ही एक आत्मघाती हमलावर ने अपनी गाड़ी से पेशावर में अमेरिकी दूतावास की गाड़ी को टक्कर मारी. विस्फोट में दो लोग मारे गए औग 19 लोग घायल हुए. इस साल जून में काबुल के एक बड़े होटल में भी हमले हुए जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें गईं.

इन हमलों के बावजूद हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी करार देने में सबसे बड़ी पेरशानी यह है कि इससे पाकिस्तान के साथ अमेरिकी संबंध और बिगड़ सकते हैं, क्योंकि हक्कानी नेटवर्क के कई नेता पाकिस्तान में हैं और वहां की आम जनता अमेरिका के खिलाफ भड़की हुई है. पिछले साल नवंबर में एक अमेरिकी हेलिकॉप्टर ने पाकिस्तानी सेना के शिविर पर हमला किया था जिसमें 24 सैनिक मारे गए थे. पाकिस्तान ने इसके बाद नाटो की आपूर्ति के लिए अफगानिस्तान जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया. नाटो के लिए सड़कें अब खोल दी गई हैं, लेकिन हमले वहां रोजमर्रा की बात हैं.

एमजी/एमजे(एएफपी, रॉयटर्स)

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