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शिक्षा में पिछड़ रहे हैं अमेरिका, जर्मनी

१४ सितम्बर २०११

दुनिया भर के पढ़े लिखे और पेशेवर लोगों की जमात में अमेरिकी वर्चस्व घट रहा है. कोरिया और चीन जैसे देश इस जमात में अपना हिस्सा बढ़ा रहे हैं जबकि जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों की हिस्सेदारी कम हो रही है.

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तस्वीर: DW

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी की सालाना रिपोर्ट से ये बात सामने आई है. चीन और कोरिया जैसे देशों में कॉलेज की पढ़ाई, और पेशेवर तालीम हासिल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. अमेरिका और जर्मनी को छोड़ दें तो दूसरे औद्योगिक देशों में भी यह संख्या बढ़ रही है. उच्च शिक्षा के मामले में दुनिया भर के विश्वविद्यालय छात्रों में चीन की कुल हिस्सेदारी 12 फीसदी है. इनमें से 25 से 34 साल की उम्र वाले छात्रों की संख्या देखी जाए तो यह आंकड़ा 18.3 फीसदी तक जा पहुंचता है. इस वर्ग में अमेरिकी छात्रों की हिस्सेदारी 20.5 फीसदी है.

उभरते देशों में बढ़ती तादाद

ओइसीडी में शिक्षा विभाग के अधिकारी आंद्रेयास श्लाइषर कहते हैं, "उच्च शिक्षा पाने वाला हर चौथा शख्स अमेरिकी है लेकिन औद्योगिक देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में जिस रफ्तार से उच्च शिक्षा पाने वालों की तादाद बढ़ रही है उसके मुकाबले अमेरिकी छात्रों की संख्या काफी कम है. अगर आप युवा छात्रों की संख्या देखें तो तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाएगी."

मंगलवार को जारी की गई ओइसीडी की इस रिपोर्ट को 34 उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं से मिली जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है. यह वही देश हैं जिन से मिल कर ओइसीडी बना है. एक साल पहले ऐसी ही एक रिपोर्ट प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेसमेंट ने जारी की थी. इसमें बताया गया कि अमेरिकी छात्र दक्षिण कोरिया, फिनलैंड और चीन के छात्रों से पीछे छूट रहे हैं. 34 देशों की कतार में अमेरिका को पढ़ाई के मामले में 14वें, विज्ञान में 17वें और गणित में 25वें रैंक पर रखा गया. इन नतीजों ने अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांगों को एक बार भी फिर तेज कर दिया है.

Infografik Bildungsausgaben 2008 Flash-Galerie

अमेरिका के लिए चेतावनी की घंटी

अमेरिकी शिक्षा मंत्री एर्ने डंकन ने कहा है, "देश के लिए यह चेतावनी की घंटी है, पिछले वसंत में बढ़िया प्रदर्शन करने वाले देशों की स्थिति पर एक कांफ्रेंस में चर्चा की गई है. नए नतीजे इस बात का एक और सबूत हैं कि अमेरिकी छात्र पिछड़ रहे हैं. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका से अपील की है कि वह 2020 तक कॉलेज ग्रेजुएट की संख्या में अपना सर्वोच्च स्थान बनाने में कामयाब होने के लिए कदम उठाएं.

रिपोर्ट से पता चला है कि अमेरिका अभी भी उच्च शिक्षा पाने वाले शीर्ष के पांच देशों में बना हुआ है. हालांकि 25 से 34 साल की उम्र वाले उच्च शिक्षित लोगों के बीच ओइसीडी के 34 देशों में अमेरिका का नंबर चौदहवां है. दो या दो से अधिक साल वाली कॉलेज की पढ़ाई करने वाले लोगों की संख्या 2000 से 2009 के बीच 42 फीसदी से बढ़ कर 49 फीसदी हो गई है. लेकिन यह बढ़ोत्तरी दूसरे देशों में कहीं ज्यादा है. ओइसीडी के 34 देशों में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या 37 फीसदी से बढ़ कर 47 फीसदी पर पहुंच गई है.

अमेरिका में ग्रेजुएट छात्रों की हाइ स्कूल डिग्री वाले छात्रों की तुलना में 79 फीसदी ज्यादा कमाई होती है. यह फासला ज्यादातर देशों की तुलना में ज्यादा है. इसी तरह से जिनके पास कम पढ़ाई है उनके बेरोजगार रहने की संभावना भी ज्यादा रहती है खासतौर से तब जबकि देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा हो.

Flash-Galerie Studentisches Leben in Deutschland Gruppenarbeit Studenten
तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

उच्च शिक्षा के फायदे तो बहुत हैं लेकिन उन्हें हासिल करने का रास्ता बेहद खर्चीला है. ओइसीडी के बाकी देशों की तुलना में अमेरिकी कॉलेज सबसे ज्यादा ट्यूशन फीस वसूलते हैं. छात्रों को करीब 70 हजार अमेरिकी डॉलर का सीधा खर्च करना पड़ता है. सिर्फ इतना ही नहीं पढ़ाई के दौरान करीब 39000 अमेरिकी डॉलर की कमाई के मौके भी छोड़ने पड़ते हैं. इस तरह से कुल खर्चा 1 लाख डॉलर से ज्यादा का आता है, जबकि दूसरे देशों में यह खर्च औसतन 50 हजार डॉलर ही है. अमेरिका में उच्च शिक्षा पर सरकारी खर्च जो सब्सिडी, स्कॉलरशिप, ग्रांट और कर्ज के रूप में सामने आती है वह दूसरे देशों के जितना ही है बावजूद इसके यहां पढ़ाई करना महंगा है.

जर्मनी पिछड़ रहा है

उच्च शिक्षा पाने वाले दुनिया भर के छात्रों के बीच जर्मन छात्रों की संख्या का प्रतिशत भी पिछले 50 सालों से करीब स्थिर है. 50 साल पहले जर्मनी में हर पांचवा शख्स उच्च शिक्षा पाता था. पूरे पांच दशक बाद इसमें बस इतना बदलाव हुआ है कि अब हर चौथा शख्स उचच् शिक्षा पाता है. 50 से 64 साल के आयुवर्ग में उच्च प्रशिक्षित लोगों के बीच जर्मनी का हिस्सा 6.3 फीसदी है लेकिन 25-34 साल के आयुवर्ग में यह हिस्सेदारी 3.1 फीसदी पर ही रुक जाती है. 50 के दशक में कुल 13 फीसदी लोग ही विश्वविद्यालय की शिक्षा ले पाते थे. 2009 में विश्वविद्यालय की शिक्षा पाने वालों की तादाद बढ़ कर 37 फीसदी तक पहुंच गई. विकास की यह दर सबसे ज्यादा कोरिया और जापान जैसे देशों में बढ़ी है जहां के 60 फीसदी लोग विश्वविद्यालयों तक पहुंचने लगे हैं.

तुलनात्मक रूप से देखें तो जर्मनी शिक्षा पर खर्च भी बहुत कम करता है. 1995 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 5.1 फीसदी शिक्षा पर खर्च होता था जो 2008 में घट कर बस 4.8 फीसदी रह गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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